यह कॉरपेरेट-दलाली की नवब्राह्मणवादी सोच है जो ब्राह्मणवाद के फिफ्थ कॉलम का काम करती है। नवब्राह्मणवाद प्रकारांतर से कम्युनिस्टों को गाली देकर ब्राह्मणवाद-कॉरपोरेट गठजोड़ की सेवा करता है और एक समतामूलक समाज के रास्ते का उसके ही जितना बड़ा स्पीडब्रेकर है। जन्म के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन ब्राह्मणवाद का मूलमंत्र है। ऐसा करने वाला जन्मना अब्राह्मण नवब्राह्मणवादी होता है और जाने-अनजाने ब्राह्मणवाद की वैचारिक चाकरी करता है। सादर। ब्राह्मणवादियों-नवब्राह्मणवादियों पर ज्यादा समय खर्च करना व्यर्थ है। दोनों के दिमाग बंद होते हैं।
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