सदियों पुरानी है लड़ाई दक्षिण और वाम की
शासक के वर्चस्व और आजादी-ए-आवाम की
राम की तीरंदाजी और शंबूक के ज्ञान की
द्रोणाचार्य के छल और एकलव्य के आन की
हमने तो बहुत पहले चुन लिया था जनपक्ष
क्योंकि अधोगमन का पैगाम है दक्षिणपंथ
कुछ लोग जो खुद को दक्षिणपंथी कहते हैं
मिथ्या चेतना के रोग से ग्रसित होते हैं
मजदूर होकर खुद को मालिक समझते हैं
ऐसे लोगों को ईश मिश्र लुंपेन बुर्जुआ कहते हैं
(ईमि:20.12.2017)
हा हा यह तो कविता हो गई
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