Friday, December 22, 2017

शिक्षा और ज्ञान 140 (कौटिल्य)

कौटिल्य पर इतिहासकारों में विवाद है, कई मानते हैं कि अर्थशास्त्र कई लेखकों के विचारों का संकलन है। ज्यादातर विद्वानों का मत है कि मौर्यशासन की बुनियाद रखने वाले आचार्य विष्णुगुप्त ही चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र के रचइता हैं। इस विवाद में गए बिना अर्थशास्त्र शासनशिल्प पर एक वास्तविक, उत्कृष्ट ग्रंथ है, जो चंद्रगुप्त मौर्य को नहीं, विजयाकांक्षी हर राजा को संबोधित है। उसका राजा ज्ञान की उपलब्ध, हर शाखा --वार्ता (अर्थशास्त्र); त्रयी (तीन वेद, यानि तब तक चौथे वेद की रचना नहीं हुई थी); अनविक्षकि (दर्शनशास्त्र -- आध्यात्मिक और भौतिकवादी लोकायत दोनों); दंडनीति (राजनीति) और सैन्यविद्या में प्रशिक्षित राजर्षि है। हां, उनके बाद मैक्यावली की ही तरह कौटिल्ट की राजनीति की धर्म और नैतिकता से परे अपनी अलग आचार संहिता है, राजा को उसी को तरजीह देना। छल-कपट या धार्मिक अंधविश्वासों का फायदा उठाना राजनैतिक अपरिहार्यता के तहत अपद्धर्म का हिस्सा है। बुद्धिजीवी अच्छाई-बुराई का निर्माण नहीं करता, वह पहले से ही मौजूद अच्छाई-बुराइयों पर प्रतिक्रिया भर देता है। वैसे भी कौटिल्य शासित नहीं शासकवर्ग का जौविक बुद्धिजीवी थे।

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