तुम हिंदू-मुसलमान का ही फर्क बताओगे। हम सब की प्रथमिक पहचान चिंतनशील इंसान की है, बाकी पहचानें संयोगात हैं। दिमाग का इस्तेमाल ही मनुष्य को पशुकुल से अलग करता है, उसका निलंबन मनुष्य को पशुकुल में वापस भेज देता है, दो पैरों पर चलने के बावजूद। तुम क्या बताओगे इन क्रांतिकारी बच्चों के बारे में मैं इन्हें 10 साल से करीब से जानता हूं। इन दोनों की हिंदू-मुसलमान से नास्तिकता और मार्क्सवाद की यात्रा में सहायक और गवाह रहा हूं। देश के कुछ फीसदी छात्र भी उमर-अनिर्बन से हो जाते तो इंकलाब की राह आसान हो जाती। आपका दिन मंगलमय हो।
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