Wednesday, December 20, 2017

मोदी विमर्श 67 (हिटलर)

जी हिटलर भी चुनावी सभाओं में रोने-गाने समेत ऐसी ही नौटंकी करता था। यह चाय बेचता था वह रंगाई-पुताई की दिहाड़ी। वह भी इसी की तरह अपने भाषणों की लफ्फाजी और गुटबाजी से नाज़ी पार्टी के जमे-जमाए नेताओं को दरकिनार कर सुप्रीम नेता बना था। बहुमत (आर्य नस्ल) पर अल्पमत (यहूदी) का खतरा और विदेशी दुश्मनों का हव्वा खड़ा करता था। जैसे इसने गोधरा के प्रायोजन से कत्ल-ए-आम के आयोजन से ऩफरत की फसल बोकर धर्मोंमादी लामबंदी से गुजरात में चुनावी फसल काटा और मुजफ्फरनगर से देश में।हिटलर 1933 के चुनाव में नाजी पार्टी संसद (राइख़्स्टाग) में सबसे बड़ी किंतु अल्पमत में थी। प्रेसीडेंड हिंडनबुर्ग ने चांसलर नियुक्त कर दिया तथा संसद में एनेबलगलिंग ऐक्ट से हिटलर को आसीमित शक्ति दे दिया। जैसे जेयनयू में 'देशद्रोह' के प्रायोजन से इस सरकार तथा संघ गिरोहों ने जेयनयू और वामपंथ पर हमला बोल दिया उसी तरह हिटलर ने राईख्स्टाग में आगजनी प्रायोजित कर सबसे बड़े विपक्ष कम्युनिस्ट पार्टी पर हमला बोल दिया और सांसदों को बंद कर दिया। ...

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