प्रेम इतना कि छलक जाये तो बन जाय झूमता दरिया
बह जाय तो उमड़ता सागर
नहीं है दिल में नफरत का नामोंनिशाँ
हां अदावत जरूर है इंसानियत के दुशमन खयालों से
हो जाते हैं वसंत में वसंतमय इस कदर
होती नहीं दरकार सरस्वती पूजने की
ज्ञान का श्रोत है मन की बेचनी
अौर अादत सवाल-दर-सवाल की
न कि कृपा किसी ज्ञान की देवी की
(ईमिः24.01.2015)
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