Ramadheen Singh अग्रज प्रणाम, तथ्यों-तर्कों से रहित फतवेबाजी विचार नहीं तोतागीरी की लफ्फाजी होती है. विटार अायातित नहीं होते, गतिमान होते हैं, रूमाल-माल तो यहां की शासक पार्टियां कर रही हैं बाजार को विदेशी पूंजी के हवाले. अगर वाकई अायातित विटारो-माल से विरोध है तो अायातित बजरंगी फासीवाद का विरोध करे, खुदरा बाजार से लेकर रेल तक को विदेशी पूंजी के हवाले करने का विरोध करें, लेकिन शाखा में तो फिरकापरस्ती का मंत्र रटाया जाता है दिमाग का इस्तेमाल नहीं. तमाम जाहिल तोते तथाकथित बुद्धिजीवी अौर तथा कथित सेकुलर रटते हैं, दिमाग से दिवालिये ये तोते यह नहीं बताते के वास्तविक सेकुलर क्या होता है, अग्रज अाप तो अमितशाह की पार्टी के बौद्धिक प्रकोष्ठ के मुखिया हैं, कभी-कभी बुद्धि को भी गतिमान होने दें. सादर.
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