Saturday, January 31, 2015

लल्ला पुराण 182(ईश्वर विमर्श 30)

गाफ़िल जी, अाप पर किसी की अनुपस्थिति में उसके बारे में प्रतिकूल जनमत बनाने के नैतिक अारोप में अाप पर नैतिकेतर अदालत में मुकदमा चलाया जा सकता है. शशांक समझदार बालक है किसी महत्वपूर्ण लौकिक-अलौकिक मिशन पर निकला होगा, उसके वापसी तक यह विमर्श थम जाना चाहिये. मेरा ईश्वर तो चिरंतन नीद में है, लेकिन जिनके पास अपने अपने ईश्वर जीवित हैं वे उनसे प्रार्थना करें कि उसका अलौकिक-लौकिक मिशन जल्द पूरा हो अौर वह वापस बगिया में अाकर अपने मिशन की रोमांचक यात्रा अौर उपलब्धियों का ब्योरा पेश करे. मैं तो केवल दुअा ही कर सकता हूं.

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