पत्थर महज मुहावरों में पिघलते हैं हक़ीकत में नहीं
पत्थर पिघलते नहीं टूटते हैं
न्यूटन के नियमों के तहत खुद कुछ नहीं होता
कुछ होने के लिये लगाना पडता है जोर
करना पड़ता है हथौड़े का वार बार-बार
निराला की इलाहाबाद की पत्थर तोडती अौरत की तरह
जब मानव जोर लगाता है तो पत्थर पानी नहीं होता
चूर-चूर हो जाता है
देवता की प्राण-प्रतिष्ठा के बावजूद.
(ईमिः18.01.2015)
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