Thursday, January 22, 2015

रखकर दिमाग ताक पर लिखते हैं जो छंद

क्यो बढ़ाना चाहती हो अाबादी-ए-दानिशमंद
रखकर दिमाग ताक पर लिखते हैं जो छंद
चिंतन-प्रवृत्ति से पशुकुल से अलग हुअा इंसान 
रखकर दिमाग ताक पर हो जाता वह पशु समान
यंत्रवत घूमते हैं उसके हाथ-पैर, अांख-कान
टेपरिकॉर्डर बन जाती है उसकी जुबान
होता नहीं भरोसा खुद पर जीता भरोसा-ए-भगवान
इसलिये ऐ शरीफ इंसानों दिमाग चलता रहे तो बेहतर है
इंसान दिमाग लगाये जानवर न बने तो बेहतर है
(ईमिः22.01.2015)

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