मित्र रानिश की 1 पोस्ट अौर मेरा कमेंटः
Ranish JainDecember 2, 2014
"हमारे यहाँ देश में रहने का परमिट रामनामी बेहद सस्ती दरों पर उपलव्ध हैं !
नोट- हमारे यहाँ जैन , बौद्ध , ईसाई , मुस्लिम ,पारसी आदि अल्पसंख्यकों को डिस्काउंट चालू है
फेशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा नहीं करें"
तुम जैन होकर नासमझी मेंजैन को अलग धर्म बता रहे हो. महावीर महान हिंदू ऋषि थे, इसका प्रमाण है जितने भी रसूख वाले जैन हैं,ज्यादातर ने संघ से राष्ट्रभक्ति दीक्षा ले रखी है. भगवान बुद्ध तो साक्षात विष्णु अवतार थे जिनके लाम पर साजिश करके विदेशी हमलावरों ने अलग पंथ खोल दिया अौर कई तो राजा भी बन गये. लेकिन हमारे पूर्वजों ने यह विधर्मी प्रथा यहां नहीं पनपे दिया तो चीन-जापान भाग गयी. रामनामी इंडिया में रहने का वीज़ा है? नास्तिकों को भी मिलेगी? लेकिन मुस्लिम-पारसी-ईशाई जैसे म्लेच्छों के साथ जैन-बौद्ध क्यों जोड़ दिया, वे तो पथविचलित हिंदू ही हैं. उनकी पहली "घरवापसी" परमपूज्य ब्रीह्मण-शिरोमणि, सम्राट पुष्यमित्र शुंग ने की थी, उसके बाद बौद्धों के होश ठिकाने लगाने के लिये शंकराचार्मय को कितने मठ खोलने पड़े. अब अच्छे दिन अा गये हैं बौद्ध-जैनों की सम्मान के साथ व्यापक "घरवापसी" के कार्यक्रम चलेंगे, विदेशी कंपनियों को इनके पूर्वजों की जाति-अन्वेषण का ठेका दिया जायेगा जिससे सबको उनके जाति-कुल गोत्र में पुनर्स्थाजित किया जा सके. संघं शरणं जाओ.
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