संदर्भ इलाहाबदः
चले थे साथ-साथ सब पहन गणवेश
कुछ समा गये काल के गाल में कुछ बन गये देश
एक थे शिवेंद्र शिवेंद्र तिवारी बहुत बड़े बकैत
कहते हैं मार दिया उनको कोई परिचित डकैत
बृंदा मिश्रा थे बाहुबली बहुत सन्नाम
सुनते हैं कोई नहीं उनका लेनेवाला नाम
धीन-धीन करते रहे नेताजी रामाधीन
बन गया बैक डोर से अमितशाह अलाउद्दीन
नेता जी बजा रहे हैं प्रवचनों की बीन
बना दिये गये ये अब कथामंडली के पीठासीन
इतिहास गवाह है अलाउद्दीनों का
साज़िश-ए-क़त्ल जलालुद्दीनों का
पढ़ लें मन से गर मैक्यावली रामाधीन
बन सकते हैं मुल्क के अगले अलाउद्दीन
(अग्रज, Ramadheen Singh से क्षमायाचना के साथ)
(ईमिः25.01.2015)
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