Friday, January 23, 2015

ईश्वर विमर्श 28

विवेक के साथ कल्पना भी मनुष्य का वह नैसर्गिक गुण है जो उसे पशुकुल से अलग करता है. ईश्वरवान व्यक्ति की कल्पना अास्था के बंधनों से सीमित हो जाती है, ईश्वरविहीन व्यक्ति की कल्पना असीम, अनंत होती है.

No comments:

Post a Comment