Tuesday, January 20, 2015

ईश्वर विमर्श 27

Shashank Shekhar नीत्से की ईश्वर की मृत्यु की घोषणा इतिहास अौर समाज की धार्मिक व्याख्या के अंत का प्रतीक है. नीत्से नास्तिक थे यहूदीवाद(JUDAISM) की ही नहीं, ईशाई मान्यताओं-रीतियों की भी कटु अालोचना करते हैं. ईशायियत को मनुष्य की असीम सर्जक संभावनाओं के विकास की बाधा मानते हैं. ईशायियत को वे दयाभाव (पिटी) का धर्म मानते हैं.. दयाभाव मनुष्य की सर्जनात्मक ऊर्जा को बल देने वाली जीवंत भावनाओं को क्षीण करता है. तरस की भावना कष्ट की पीड़ा कई गुना बढ़ा देती है. तथा कष्ट को संक्रामक बनाती है. अनकी SUPERMAN की अवधारणा किसी हिटलर की अवधारणा नहीं है, बल्कि अपने समकालीन मनुष्यों को उनकी असीम सर्जक संभावनाओं का एहसास दिलाने का दार्शनिक प्रयास है. "A man in this state transforms things until they mirror his power—until they are reflections of his perfection. This having to transform into perfection is—art". जब वे कहते हैं, "Run wildly, run free, live dangerously and seize the day", वे किसी सिकंदर, मुसोलिनी या हिटलर का नहीं बल्कि धर्मभीरु अावाम की सर्जक ऊर्जा की मुक्ति का अाह्वान कर रहे थे. नीत्से अराजक, अस्तित्ववादी थे. पुनश्चः मार्क्स के भूत के साश्वत शिकार, मनुसंहिता के श्रुति परंपरा के ज्ञानियों अाग्रह करो कि गंभीर विषयों पर फैसलाकुन वक्तव्य के पहले कम-से-कम विकीपीडिया से तथ्यों की जांच कर लें.

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