Arti Srivastava मैें अनाध्यात्मिक व्यक्ति हूं क्योंकि अध्यात्म के शगूफे यथार्थ पर परदा डालने अौर उसे समझने की अक्षमता को रहस्यात्मकता का लबादा पहनाने के लिये छोड़े जाते हैं. जेंडर की तरह दंभ भी जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं, समाजीकरण का परिणाम है. ईश्वर अज्ञान से उपजी मानवनिर्मित अवधारणा है इसीलिये उसका स्वरूप देश-काल के हिसाब से बदलता रहा है. पहले ईश्वर गरीब अौर असहाय की मदद करता था, सामाजिक डार्विनवाद के बाद अब सक्षम की मदद करता है. जो सक्षम है उसे किसी की मदद की क्या जरूरत.
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