मचा लो कुछ दिन अौर तुगलकी धमाल
करवा लो जितना चाहो बजरंगी बवाल
लेकिन जिस दिन जानेगा मेहनतकश यह हक़ीकत
उसी के खून-पसीने से की पूंजी बनी उसी की मुसीबत
दिखेगी उसे जब विकास के नारे में ढकी साज़िश अावाम के विनाश की
शुरू हो जायेगी गिनती तुम्हारे सत्यानाश की
(ईमिः31.01.2015)
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