Nripendra Singh मित्र, मैंने तो किसी खास धर्म के किसी खास ईश्वर की बात नहीं किया, मैं तो सब ईश्वरों की बात कर रहा हूं जो अपने झगडे खुद नहीं निपटाते, इंसानों का अमन-चैन बरबाद करते हैं. अाप जो कह रहे हैं, उतने में भी दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते सब ईश्वरों के रट्टू तोतों की तरह दुहरा देते हैं - किसी अौर धर्म पर कहने की हिम्मत नहीं होती. हर तरह के खुदाओं के बंदों से यही वाक्य सुनता अाया हूं.
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