Tuesday, June 17, 2014

नहीं बुझने देंगे आंखो के दिये

नहीं बुझने देंगे आंखो के ये दिये
करेंगे इन्हें रोशन जनवाद के तेल से
फूंकेंगे जान बुतखाने की हसीं यादों में
जम्हूरी दिल-ओ-दिमाग के मेल से
लहराते हुए हाथ चलेगी जब हर लाश
दिये गुल करने वालों का होगा सत्यानाश
फिर इक दिन आयेगा जनवादी जनसैलाब
जम्हूरियत के दुश्मनों को कर देगा बेआब
नहीं बुझेंगे आंखों के दिये तब कभी
अमन-ओ-चैन से जियेंगे हम सभी
(ईमिः18.06.2014)

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