@Nishant Kumar: आज़ादी तो चरखा कातने यानि कांग्रसे नीत राष्ट्रीय आंदोलन से ही आयी है, क्रांतिकारियों के बलिदानों ने उत्प्रेरक की भूमिका अदा किया. गांधी की नीतियां तत्कालीन सामाजिक चेतना के अनुरूप थीं और क्रांतिकारी कार्यक्रम समंय से आगे एक नये शोषणविहीन समाजनिर्माण का था. इसीलिए गांधी के पास अपार जनाधार था और क्रांतिकारियों के पास क्रांतिकारी समझ और बलिदान की भावना के बावजूद जनाधार नहीं था. भगत सिंह बलिदान के बाद महानायक बने, गांधी ने महानायक बनकर बलिदान दिया. भगत सिंह के विचारों के धुरविरोधी संगठन भी अब उन्हें अपना नायक बताने लगे हैं. एक शोषण दमन मुक्त समाज का भगत सिंह का सपना अभी भी दूर दिखता है. आइए उस सपने को साकार करने के लिए छात्रों-नवजवानों की लामबंदी की कोशिस करें.
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