पल पल बदलती हो तुम बार बार
बदले स्वरूपों का मगर साश्वत है सार
चकित हिरणी सी आंखों में असीम प्यार
भले ही दिखें करती तीक्ष्ण सरवार
पक्व-बिंब से अधरों का गतिविज्ञान
बिखेरता प्रासंगिक गूढ़ मुस्कान
यहीं तक रोकता हूं फिलहाल कलम
आगे का वर्णन अभी बना रहे भरम
बदले स्वरूपों का मगर साश्वत है सार
चकित हिरणी सी आंखों में असीम प्यार
भले ही दिखें करती तीक्ष्ण सरवार
पक्व-बिंब से अधरों का गतिविज्ञान
बिखेरता प्रासंगिक गूढ़ मुस्कान
यहीं तक रोकता हूं फिलहाल कलम
आगे का वर्णन अभी बना रहे भरम
(ईमिः30.06.2014)
एक सी बात है कार हो या सरकार :)
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