Wednesday, June 4, 2014

चांद को न रोटी का टुकड़ा न हुस्न का पर्याय बताते

चांद को न रोटी का टुकड़ा न हुस्न का पर्याय बताते
पृथ्वी का उपग्रह है, यह बात तथ्य-तर्क से हैं समझाते
बहलाते नहीं बच्चों को बताकर चाद को रोटी का टुकड़ा
फुसलाते नहीं महबूब को बताकर उसे उसका मुखड़ा
बहलाते नहीं बच्चों को सौर्यमंडल की हक़ीकत बताते हैं
समाज के ख़्वाबों के भविष्य का उन्हें पहरेदार बनाते हैं
फुसलाते नहीं माशूक को दिल की चाहत दिखाते हैं
बन हमजोली दोनों पारस्पारिकता का पेंग बढ़ाते हैं
(ईमिः04.06.2014)

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