Wednesday, June 18, 2014

बेजान में जान

 कायरतापूर्ण पलायन है चयन मरने का
और नहीं है जीवनेतर उद्देश्य जीने का
खुद एक उद्देश्य है जीना एक अच्छी ज़िंदगी
न करो किसी पर कृपा न किसी की बंदगी
भरना है सूखी आंखों में उम्मीदों का आब
देखना है इनको इक नई दुनिया का ख़्वाब
उतारना है धरती पर एक अनोखा आफ़ताब
उमड़ते दिखेंगे कितने जनवादी जनसैलाब
सीख लो मुश्किलों को बनाना आसान
मानना प्रतिकूल को बदले भेष में बरदान
झूम पड़ेंगे खुशी से ये वीरान बियाबान
बेजान में आ जायेगी एक नई जान
(ईमिः18.06.2014)

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