एक युवा कॉमरेड ने इनबॉक्स में मायावती आदि के इस चुनाव में हासिे पर फेंका जाने का करण पूछा. मेरा उत्तरः
इस पर मैं एक लेख लिखूंगा. मैंने 1991 में लिखा था कि मंडल कमीसन का और जो भी परिणाम हो एक सकारात्मक परिणाम है- भ्रष्टाचार का जनतांत्रीकरण, जो भविष्य के ध्रुवीकरण का कारक बनेगा. लालुओं-मायाओं-मुलायमोें में विज़न होता तो ये अभागे ऐतिहासिक सख्शियत होते और इतिहास अलग होता, लेकिन ये तो सत्ता के सामंती उंमाद और संचय के वहम में फंस कर अपना और देश का सत्यानाश कर दिया. कांग्रेस का कुशासन औप भ्रष्टाचार असह्य हो गया, भ3मित-विखंडित वामपंथ का नासमझी और अकर्मण्यता के चलते विकल्प का निर्वात भरने के लिए कारपोरेट ने मोदी ब्रॉेंड पेश किया. चमत्कारों और अवतारों में यकीन रखने वाली जनता ले उसे पकड़ लिया. मैं कहा करता हूं कि मतदाता किसी की रखैल नहीं है एक साल पहले जिस जनता ने मुलायम की पार्टी को अभूतपूर्व बहुमत दिया, उसी ने उसे परिवार की पारटी बना दिया. मुलायम यदि गुंडागर्दी और दंगे रोक दिया होता तो उप्र में कम से कम 50 सीट पाते. मायावती को जब भी शासन का मौका मिला उन्होने सत्ता के अहंकार और भ्रष्चाचार में गुजार जिया. कव तक " अहिरै गुना कमोरी " होती रहेगी. कारपोरेटी फासिज्म का एक ही विकल्प हैः जागरूक मजदूर-किसान-छात्र लामबंदजी, तुम लोगों की जिम्मेदारी बढ़ गयी है, जनवादी चेतना से लैस जनमत की विरासत बनाने में हम नाकाम. अब नईपीढ़ी फैसला करे. हम इंसाफ और मानव-मुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. अंततः इंसाफ जीतेगा.
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इस पर मैं एक लेख लिखूंगा. मैंने 1991 में लिखा था कि मंडल कमीसन का और जो भी परिणाम हो एक सकारात्मक परिणाम है- भ्रष्टाचार का जनतांत्रीकरण, जो भविष्य के ध्रुवीकरण का कारक बनेगा. लालुओं-मायाओं-मुलायमोें में विज़न होता तो ये अभागे ऐतिहासिक सख्शियत होते और इतिहास अलग होता, लेकिन ये तो सत्ता के सामंती उंमाद और संचय के वहम में फंस कर अपना और देश का सत्यानाश कर दिया. कांग्रेस का कुशासन औप भ्रष्टाचार असह्य हो गया, भ3मित-विखंडित वामपंथ का नासमझी और अकर्मण्यता के चलते विकल्प का निर्वात भरने के लिए कारपोरेट ने मोदी ब्रॉेंड पेश किया. चमत्कारों और अवतारों में यकीन रखने वाली जनता ले उसे पकड़ लिया. मैं कहा करता हूं कि मतदाता किसी की रखैल नहीं है एक साल पहले जिस जनता ने मुलायम की पार्टी को अभूतपूर्व बहुमत दिया, उसी ने उसे परिवार की पारटी बना दिया. मुलायम यदि गुंडागर्दी और दंगे रोक दिया होता तो उप्र में कम से कम 50 सीट पाते. मायावती को जब भी शासन का मौका मिला उन्होने सत्ता के अहंकार और भ्रष्चाचार में गुजार जिया. कव तक " अहिरै गुना कमोरी " होती रहेगी. कारपोरेटी फासिज्म का एक ही विकल्प हैः जागरूक मजदूर-किसान-छात्र लामबंदजी, तुम लोगों की जिम्मेदारी बढ़ गयी है, जनवादी चेतना से लैस जनमत की विरासत बनाने में हम नाकाम. अब नईपीढ़ी फैसला करे. हम इंसाफ और मानव-मुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. अंततः इंसाफ जीतेगा.
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