आता रहेगा लौट लौट कर स्पार्टकस
आता रहेगा लौट लौट कर स्पार्टकस
तोड़ने बेड़ियां गुलामी की
चढ़ता रहेगा सूली पर तब तक
जब तक पाजेब समझता रहेगा गुलाम
पैरों में पड़ी बेड़ियों को
और चीखता रहेगा डैविड
हम नाकाम क्यों रहे स्पार्टकस?
भूल गये थे हावर्ड फ्रॉस्ट लिखना यह बात
खुले-के-खुले रह गये थे
फंदे पर लटके स्पार्टकस के होठ
हो भयभीत एक गुलाम की समीक्षा से
कस दिया था तभा फंदा रोम गणराज्य ने
और बो दिया था बीज अपने विनाश का
टिका था जिसके गौरव का भव्य महल
गुलामों की हुनरमंद मेहनत की बुनियाद पर
खड़ा हुआ जिसके खंडहरों पर
एक निरंकुश रोम साम्राज्य
कहते हैं शहादतें बेकार नहीं जातीं
कर गयीं आदिविद्रोहियों की शहादतें
भविष्यवाणी गुलामी के युगांत का
पिर लौट कर आया था स्पार्टकस
हिला दिया था चूलें रोम साम्राज्य की
सूली पर चढ़ने के पहले
इंकिलाबी उद्घोष के साथ कहा था स्पार्टकस ने
हम होंगे कामयाब डौविड!
आता रहा है लौट लौट कर स्पार्टकस
आता रहेगा लौट लौट कर स्पार्टकस
तोड़ने बेड़ियां गुलामी की
चढ़ता रहेगा सूली पर तब तक
बची रहेगी जब तक बेड़ी की एक भी कड़ी
आता रहेगा लौट लौट कर स्पार्टकस
तोड़ने बेड़ियां गुलामी की
मानवता मुक्ति की मंजिल तक
मानव-मुक्ति की चेतना से लैस
अबकी जब लौट कर आयेगा स्पार्टकस
नहीं चढ़ेंगे शूली पर स्पार्टकस-ओ-डैविड
टूटेंगी ज़र की गुलामी की सारी बेड़ियां
उल्लास मनायेंगे दुनियां के सारे स्पार्टकस-ओ-डैविड
होलिका जलाकर दुनियां के सारे फंदो की
और हर्षोल्लास से
स्पार्टकस के सीने से लिपट
चिल्लायेगा नहीं उद्घोष करेगा डैविड
कामयाब हो गये हम स्पार्टकस
टूट चुकी हैं गुलामी का सभी बेड़ियां
आओ जश्न मनायें मानवता की मुक्ति का
अंततः इंसाफ की जीत का
और फिर कहीं नहीं जायेगा स्पार्टकस
(ईमिः 18.05.2014)
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteSpartcus means kya hota h sir?
ReplyDeleteSpartcus means kya hota h sir?
ReplyDeleteस्पार्टकस 71 ईशापूर्व में गुलाम विद्रोह का सेनापति था जिसने दास श्रम पर आधारित रोम गणराज्य की चूलें हिला दीं थी. विद्रोह तो कुचल दिया गया था लेकिन स्पार्टकस आज भी गुलामी के विरुद्ध विद्रोह का प्रतीक है. 1951 में अमेरिकी क्रांतिकारी लेखक हावर्ड फ्रास्ट ने स्पार्टकस उपन्यास लिखा. उसका हिंदी अनुवाद अमृत राय ने आदिविद्रोही शीर्षक से किया है. अद्भुत उपन्यास का अद्भुत अनुवाद. अवश्य पढ़ें मौका लगे तो.
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