V.b. Singh गुजरात में असुरक्षा और आतंक के भय की ज़िंदगी जी रहे हैं और तोगड़िया ने उन्हं भगाने का फतवा दे ही दिया है. गुजरात मोेम विकास अडानी-अंबानी-टाटा का हो रहा है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं जिनकी जमीनें अपने बाप की समझ उनसे छीनकर बीबीछोड़, सीटियाीबाज, लंपट मोदी ने अपने थैलीशाह ताउओं को दे दी जिनका ज़रखरीद गुलाम बन वह निजी जहाजों से घूम रहा है और जिनके पैसे से लाहोर को अंडमान बताने वाला ज़हिल हजारों करोड़ विदेशी कंपनियों को ढवि निर्माण के लिए दे रहा है, जिन्हें बदले में देश बेच देगा क्योंकि व्यापारी कभी घाटे का सौदा नहीं करता. मैं सारे मोदियाये, पढ़े-लिखे जाहिलों से एक सवाल करता हूं कि विवेक के इस्तेमाल से वे हत्या-बलात्कार-फर्जी मुठभेड़ों के इस आयोजक एक वाक्य या कृत्य उद्धृत करें जिससे मानवता का दुश्मन यह नरपिशाच उनका आराध्य बन गया. आजतक किसी ने कोई जवाब नहीं दिया बस तोते की तरह 16 मई की धमकी देते रहते हैं. विवेक ही मनुष्य को पशुकुल से अलग करता है, मोदियापे के शिकार विवेकहीन लोग स्वरूप में मनुष्य होने के बावजूद सार में पशु हैं. दुर्भाग्य से पढ़े-लिखे जाहिलों का अनुपात अपढ़ों से अधिक है,
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