Monday, May 12, 2014

सुषमाविहीन टेलीविजन

सुषमाविहीन हो गया क्यो टेलीविजन
भाजपा के सितोरों के आये ऐसे दुर्दिन
वह गायेगी कहां गये वो मासूम मोदी
खेलाती थी जिसको दे दे के थपकी
सोचा था बनाने को उसको अपना कारिंदा
फेंका था इसीलिए चुनावी जनसंहारी फंदा
सोचा था रहेगा मोदी गुजरात में किलाबंद
उठाएंगी वे  दिल्ली की दिल्लगी का आनंद
सोचे थे यही अडवाणी-जेटली-उमा-जोशी
देख मोदियापे का कहर आयी उन्हें मदहोशी
झांसी में फंस गयी साध्वी उमा भारती
उतारने लगी वहां निज हार की आरती
कानपुर में सिमटे मुरली मनोहर जोेशी
पीयम उनको बनना था बकौल ज्योतिषी
सांसद न रहने का नहीं होगा उनको गम
तक़लीफ होगी उन्हें होने का कारिंदे से कम
सोचा था जेटली ने मोदी है उनका आदमी
मनमोहनी अंदाज़ में बनेंगे खास आदमी
कहा मोदी ने उनसे  छलावा है राज्यसभा
औकात तो  बतायेगी चुनाव-ए-लोकसभा
उतार दिया उसको अमृतसर में
हारेगा वह  तो रोएगा बीभत्स स्वर में
धर्मोंमादी अडवाड़ी की करनाी क्या बात
बना रहा वह बाबरी में राक्षस साक्षात
कर रहा था गुजरात मेन जब मोदी उत्पात
सिर पर था उसके इस आताताई का हाथ
छोड़ना चाहा जब इसने गुजरात
बटुक प्रदेश पर पड़ा एक नगपुरिया लात
याद है उसको वैसे तो सारा पुराण जबानी
भूल गया था बस भस्मासुर की कहानी
सिमट गया है वह बुड्ढा गांधीनगर में
जूझ रहा है सांसद बनने की फिकर में
देगी जनता अबकी ऐसा जनादेश
खाक हो जाएगा भस्मासुर कुछ न बचेगा शेष
चुनावी हवन कुंड में सबने आहुति डाला
और नमो नमो स्वाहा का मंत्र जप डाला
संघी प्रपंच स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
फासीवादी मंसूबे स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
(ईमिः 12.05.2914)

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