भारत में ज्यादातर नेता धर्मनिरपेक्ष और शर्मनिरपेक्ष हों या न हों पार्टी निरपेक्ष जरूर हैं. बिहार के एक सांसद हैंं -- कैप्टन जयनारायण निशाद. दिवि में आआपा के संदर्भ मेंं भारतीय राजनैतिक परिदृष्य पर आयोजित एक पैनल डिस्कसन में वे विषयनिरपेक्ष होकर अपनी चुनावी चालाकियों का ही महिमामंडन करते रहे और गर्व से दुहराते रहे कि वे् लगातार 5(या4) बार सांसद चुने गये और हर बार अलग पार्टी से. यहां नेता के साथ मतदाता भी पार्टीनिरपएक्ष हैं. उप्र में 20 कांग्रेसी भाजपा के उम्मीदवार हैं तो गुजरात में 12. 3 प्रमुख अंबेडकरी राम -- रामविलास, राम अठावले, राम(उदित)राज -- सांप्रदायिकता के विरुद्ध परचम लहराते लहराते एकाएक मोदिया कर भगवाध्जधारी हो गये. विश्व बैंक के चहेते चिदंबरम् भगवा सरकार में वाणिज्य मंत्री बनने के लिए सोनिया के विदेशी मूल से आहत टीयमसी बनाकर राष्ट्र सेवा जारी रखा और 2004 में मनमोहन के लिए सोनिया उनकी भारतीय आराध्य हो गयीं. यह तो एक बानगी है( इट इड जस्ट द टिप ऑफ द आइसबर्ग).
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इस बार और देखियेगा इधर से उधर :)
ReplyDeleteHorses are already begun to be traded, Modi has bought both the mafias Amsari and Ajay Rai
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