@Sanjay Kumar Singh: शतप्रतिशत सहमत. मैक्यावली यदि आज अपने प्रिंस के लिए जीवित जीवंत माडल की तलाश करता तो उसे एक के चुनाव में बहुत मशक्कत करनी पड़ती. " अगर लालू, मुलायम, माया, ममता में से किसी को भी यह सपना आ जाए या शौक चढ़ जाए कि वो प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो वो वह सब कर सकते हैं जो मोदी कर रहे हैं और यही नहीं, आप और हम भी कर सकते हैं। शर्त सिर्फ यह है कि कोई अडानी-अंबानी आप पर या मुझपर पैसे लगाने को तैयार हो जाए। बाकी गाली देने (संसदीय) और भाषण देने में ना आप डरेंगे और ना मैं।" पूंजीवादी युगचेतना और उसके तहत मनुष्य की आत्मघाती, पतनशील अमानवीय प्रवृत्ति मुझ जैसे साधारण इंसान के लिए हमेशा एक पहेली रही है. इस युगचेतना को तोड़ने के उद्देश्य से लगातार कमजोर करते रहना है.
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