कहते हो लगी है पूरी कयानात एक शख्स को झुकाने में
मशगूल है हैवानियत से जो उस पर कब्ज़ा जमाने में
नहीं होती जरूरत गिरे हुए शख्स को झुकाने की
पालता है जो खुशफहमी सल्तनत-ए-जमाने की
रौंदना चाहता है सारी कयानतक वो बद्मिज़ाज
कुद को महादेव समझ बैठा है ज़ाहिल बद्दिमाग
इतिहास नहीं जानता वह फेकू नरपिशाच
जला देगी फासीवादी मंसूबे जनवाद की आग
महामानव की गफलत में भाजपा की कब्र खोदी
जानता नहीं खुद दफ्न होगा उसीमें नरेंद्र मोदी
(ईमिः2 मई 2014)
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