Friday, May 29, 2020

लल्ला पुराण 337 (चीनी माल)

एक सज्जन ने फोन से चीनी ऐप्स डिलीट करने की पोस्ट पर मेरी प्रतिक्रिया मांगा, उस पर 2 कमेंट:

मेरा सैमसंग फोन है जो किस देश की बहुराष्ट्रीय कंपनी का है, इसका पता करने की कभी जरूरत नहीं हुई बाकी फोन का इस्तेमाल मैं सिर्फ फोन करने में करता हूं। बाकी सीम्राज्यवादी पूंजी से एक देश की कंपनियों के बहिष्कार से नहीं लड़ा जा सकता, उत्पादन में आत्मनिर्भरता से ही लड़ा जा सकता है। लेकिन हम तो अपने अतिप्राचीन पूर्वजों की उत्पादक महानता का गुण गाते हुए केवल हिंदू-मुसलमान नरेटिव से नफरत और धर्मांधता का उत्पादन करते हैं, कैंची और नेलकटर भी आयात करते हैं। साम्रज्यवादी कंपनिया उपभोक्ता वस्तुओं का निर्माण मंहगे श्रम और कच्चे माल वाले साम्राज्यवादी देशों में नहीं सरकारों की मदद से सस्ते कच्चे माल और श्रम वाले तीसरी दुनिया के देशों में करते हैं। शोषणकारी पूंजी का चरित्र भूमंडलीय है क्योकि यह न तो श्रोत के मामले में भूगोल-केंद्रित है न निवेश के मामले में। दमन भूमंडलीय है प्रतिरोध भी भूमंडलीय होना चाहिए। बाकी मोदी जी चीनी नेताओं से बात कर ही रहे हैं, वे उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे ही।

दिमाग में फिरकापरस्ती का दुराग्रह तार्किक होने नहीं देता। चीन की भक्ति किस वाक्य में दिख रही है? मेरे कहने से आपने चीनी ऐप्स वाला फोन लिया था? फिरकापरस्ती को मानवता का दुर्दांत दुश्मन मानना यदि आपके लिए भारतीयट सभ्यता को कोशना है तो आपको अपनी दुर्दांत सोच पर सोचने की जरूरत है। मैंने यही कहा कि हमें फिरकापरस्ती की नफरत का उत्पादन और धर्मांधता कानप्रसार छोड़ कर वह ऊर्जा वैज्ञानि कसोच और उपभोक्ता सामग्री के उत्पादन में लगानाम चाहिए जिससे हम अपनी जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर हो सकें, कैंची और सेटेप्लर तक का निर्यात न करना पड़े। कभी कभी दुराग्रह त्यागकर तार्किक बातें भी कर लेना चाहिए। सादर।

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