Friday, May 15, 2020

लंपट सर्वहारा

जनसेवक के नाम से चलती है जिन बौद्धिक श्रमिकों की आजीविका

पालते हैं वे शासकवर्ग का हिस्सा होने का मुगालता

निभाते हुए लंपट सर्वहारा की भूमिका

बन जाते हैं कॉरपोरेटों के दलाल

कारिंदे बन धनपशुओं के बना देते हैं मूलनिवासियों की आजीविका को

धनपशुओं की टकसाल

मिल जाता है उन्हें भी लूट के तलछट का थोड़ा-बहुत माल

घृणा फैलाते हैं क्रांतिकारी लामबंदी के खिलाफ

बांटते हैं धरती के पुत्रों को आपस में

खाते हैं जनता की कमाई

अफवाह फैलाते हैं कि धनपशुओं के हित में ही है

मूल निवासियों की भलाई

फैलाकर भ्रम मूलनिवासी हित के खिलाफ

करते हैं खून चूसने वालों का रास्ता साफ

करते हैं ये गद्दारी मेहनतकश के साथ

समझ भटका हुआ, भ्रमित मजदूर साथी

कर देता है कामगर इन्हे माफ

जिस दिन होगा इन वर्गगद्दारों का मिथ्या-चेतना से मोहभंग

वापस बन जाएंगे ये भी कामगारों की इंकलाबी फौज का अंग

(ईमि:15.05.2020)

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