आंय-बांय न करने के लिए मेरा ही लेख पढ़ना जरूरी नहीं है, मैंने तो यह कहा कि और कुछ नहीं पढ़ा तो ग्रुप में आसानी से उपलब्ध मेरा ही लेख पढ़ लेते। यदि आपने साम्यवाद पढ़ा होता तो यह सवाल न पूछते, क्रांति-प्रतिक्रांतियों की निरंतर प्रक्रिया है, किसी ने नहीं कहा था कि चीन में साम्यवाद आ गया था, माओ ने उसे न्यू डेमोक्रेसी कहा था। ऊपर एक छोटा सा कमेंट पढ़ने का धैर्य तो है नहीं जिसमें कहा गया है कि साम्यवाद भविष्य की विश्वव्यवस्था है। इसे अन्यथा न लें, आपकी बातों से लगता नहीं आपने साम्यवाद पर अफवाहजन्य तथा कहासुनी की जानकारी के अलावा किसी भी पुस्तक से कोई जानकारीन प्राप्त की है। सादर, शुभरात्रि। पूंजीवाद चीन में क्यों पुनर्स्थापित हुआ यह अलग सवाल है, इस पोस्ट का आपका सवाल अलग था। यह बात अपने लिए कह रहा हूं, आजकल पढ़ना कुछ कम हो गया है, लेकिन शिक्षक को लगातार पढ़ते रहना चाहिए. कोई अंतिम ज्ञान नहीं होता, ज्ञान एक निरंतर प्रक्रिया है तथा भक्तिभाव अज्ञान की कुंजी है।
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