Tuesday, May 5, 2020

फुटनोट 325 (हॉस्टल)

कई बार अपनी कई बातें सोचकर हंसी आती है। अब बीए-एमए के बच्चे गुंडे तो होते नहीं, कभी नाक की लड़ाई में खून-खच्चर भले कर लें। हॉस्टल का नया-नया वार्डन था कहीं (प्रेस क्लब) बैठा था, गार्ड का फोन आया कि कुछ लड़कों ने मार-पीट में खून-खराबा कर लिया है, तुरंत वापस हॉस्टल आया। गेट पर खून देखकर गुस्से में बोल गया, "मैं सारे गुंडों को खुली चुनौती देताहूं, दम है तो मुझसे गुंडई करो, 46 किलो का आदमी हूं, अकेले घूमता हूं। गुंडे और कुत्ते कायर होते हैं, झुंड में शेर बन जाते हैं अकेले में पत्थर उठाने के अभिनय से दुम दबाकर भागते हैं।"

फेयरवेल में कई बच्चों ने अनुमति लेकर इस डायलाग की नकल उतारा था। जिन बच्चों की जितनी क्लास ली वे उतनी ही अधिक इज्जत करते हैं। बच्चे समझदार होते हैं, वे नीयत समझते हैं। सब बेहतर इंसान बन कर निकले, सब अच्छे पदों पर हैं, ज्यादातर संपर्क में हैं।

2 comments:

  1. जबर्दस्त डायलॉग था दमदार इसीलिए हिट तो होना ही था

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  2. शुक्रिया, कविता जी।

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