मैं निष्पक्ष नहीं हूं, निष्पक्षता दोषपूर्ण पक्ष का एक फरेब है। मैं अन्याय के विरुद्ध न्याय का पक्षधर हूं। मैं मजदूर हूं और मजदूरों के वर्गहित का पक्षधर। अंतिम पैरा में एजेंडा नहीं सेट करता, बल्कि पूरा लेख ही एजेंडा के तहत होता है।। निरुद्देश्य कुछ नहीं होता, लेखन तो कतई नहीं।कुरान, रामायण, महाभारत सब खास एजेंडे के तहत लिखे गए हैं।
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