वैसे तो धार्मिक एवं
परंपरागत आस्थाओं से स्वतंत्र विवेकसम्मत सामाजिक-राजनैतिक अवधारणा यूरोप के
प्रबोधन (एनलाइटेनमेंट) आंदोलन की प्रमुख विषयवस्तु (थीम) थी लेकिन सेकुलर शब्द का
इस्तेमाल पहली बार 1851 में अंग्रेज लेखक जॉर्ज होल्योक ने धर्म से स्वतंत्र
सामाजिक विकास के अपने विचारों की व्याख्या के लिए किया। गौरतलब है इंगलैंड में उस समय चंद प्रवासी
अपवादों को छोड़कर ईशायियत ही वहां का एक मात्र धर्म था। यद्यपि इंगलैंड में
प्रोटेस्टटें पंथ की प्रमुखता थी किंतु होल्योक के वर्णन में दोनों ही पंथों यानि पूरे
धर्म की स्वतंत्रता की बात की गयी है। होल्योक प्रबोधन क्रांति के वोल्तेयर और
थॉमस पेन जैसे कुछ चिंतकों पर धर्म की आलोचना के चलते धार्मिक कठमुल्लों के
हमलों से परिचित थे। वोल्तेयर जेल काट
चुके थे, थॉमस पेन के घर में आग लगा दी गयी थी और लंदन में उनकी किताब छापने वाले
के प्रेस में तोड़फोड़ हुई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सेकुलरिज्म ईशाईयत (धर्म)
के खिलाफ नहीं बल्कि इससे स्वतंत्र है। सेकुलर ज्ञान इसी जिंदगी के बारे में,
इहलोक का, जिंदगी की बेहतरी के लिए, अनुभवों से पुष्ट होने वाला ज्ञान है उललोक का
(परलौकिक) नहीं।
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