Friday, March 31, 2017

नहीं सुनना है ग़र जवाब में झूठ-पर-झूठ

नहीं सुनना है ग़र जवाब में झूठ-पर-झूठ
सरल रास्ता है बंद कर दो सवाल करना
और हाकिम के शब्दों पर करना यक़ीन
बोलो वही हो जो भजन-कीर्तन की तर्ज पर
सबसे आसान है बंद कर लेना खुद को दड़बे में
न देख सको, न सुन सको, न कर सको कोई बात
जो निषिद्ध है देशभक्तों को मिले मैन्युअल में
अगर आज़ाद इंसान की तरह रहना चाहते हो
और चाहते हो आजादी विवेक और अंतरात्मा की
तो कीमत चुकानी पड़ती है हर शौक की
निकलना होगा सर पर बांधकर कफन
शामिल होने समाज की जंग-ए-आजादी में
क्योंकि अगर होना है खुद आजाद
करना पड़ेगा आजाद पूरा समाज
आजादी महज मनबहलाव है
एक गुलाम समाज में
(ईमि: 01.04.2017)

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