@Krisna Baraskar. जो जेयनयू-दिवि की छात्राओं को वेश्या कहता है वह मानसिक रूप से विकृत है. यह तुम्हारी मौलिक गाली नहीं है, तुम्हारे आका साल भर से यही आलाप कर रहे हैं. संघियों में मौलिकता होती ही नहीं शाखा के ड्रिल में दिमाग कुंद हो जाता है और वे अपने आकाओं द्वारा रटी रटाई गालियां, पंजीरी खाकर भजन की तरह दोहराते रहते हैं. यहां के प्रोफेसरों को दल्ला या इससे भी बुरी गालियां भी तुम अपने आकाओं की ही दोहराते हो. तुम्हे इन जगहों पर एडमिसन ही नहीं मिलेगा. वैसे भाषा की तमीज शाखा में सीखा या मां-बाप से? अपने दिमाग में भरा गोमाता का पवित्र गोबर फैलाना हो तो मेरी पोस्ट से दूर रहा करें. नहीं तो मैं भाषा की ऐसी तमीज वालों को ब्लॉक कर देता हूं. भक्तों को उनका भगवान गाली-गलौच के अलावा थोड़ी नैतिक तमीज क्यों नहीं देता? खैर वह भी भक्तों सी ही तमीज वाला होगा. दिमाग का इस्तेमाल ही दिमाग को पशुकुल से अलग करता है वरना वह तुम्हारी तरह दो पैरों पर चलने वाला पशु ही बना रहता है.
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