Anoop Patel मेरे अपने कॉमरेड्स तो बहुत कम हैं, मैं किसी पार्टी में नहीं हूं. सीपीआई और सीपीयम ने बहुत पहले ही कम्युनिस्ट होना बंद कर दिया और उनमें तथा अन्य चुनावी पार्टियों में गुणात्मक परिवर्तन लगभग न के बराबर है. आज के हालात के लिए जितने जिम्मेदार माया-मुलायम-सोनिया हैं उससे ज्यादा जिम्मेदार ये स्वनाम धन्य वाम पार्टियां हैं, अपनी अक्रांतिकारी सोच और कुकर्मों के चलते. अभी खतरा वास्तविक ब्राह्मणवादी फासीवाद का है. मुझे पता नहीं कौन प्रोफेसर वायबा में 0-1 देते थे, उनको यक्सपोज करना चाहिए. मैं जनहस्तक्षेप नामक मानवाधिकार संगठन में हूं, हमारे एक साथी डॉ. विकास वाजपेयी सीयसयमसीयच में हैं तथा यसआईयस में मेरी दो स्टूडेंट्स, उनके बारे में गारंटी ले सकता हूं तथा मालाकार जैसे संशोधनवादियों के बारे में भी कि वे जाति के आधार पर नंबर नहीं देंगे. इस समय इनकी आलोचना बंद किए बगैर एक संयुक्त संघर्षशील मोर्चे की जरूरत है. हमारे अंतर्विरोध, माओ के शब्दों में शत्रुतापूर्ण नहीं हैं, मित्रतापूर्ण हैं. वक़्त की जरूरत है अस्मिता की राजनीति के जनवादीकरण की और वामपंथी दलों के आत्मचिंतन और मंथन की. हम मिलकर बड़ी ताकत हैं अकेले-अकेले बहुत कमजोर, अभी मिलकर लड़ने की जरूरत है, उनसे बाद में निपट लिया जाएगा.आप जैसे ऊर्जावान नवजवानों की अहम भूमिका है, हम जैसे बुड्ढे भी पीछे-पीछे चलेंगे.
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