वह जो गुंडागर्दी का समर्थन करता है
सोच से दो कौड़ी का मवाली होता है
देशभक्ति के नाम पर बलात्कारी होता है
लात खाकर संस्कारी हो जाता है
कुत्तों की तरह झुंड में भौंकता है
उन्ही की तरह झुंड में शेर बन जाता है
कुत्तों और गुंडों में एक और समानता है
दोनों का उभयमान गुण कायरता है
अकेले में पत्थर उठाने के नाटक से ही
दुम दबाकर भाग जाता है
(ईमि:01.03.2017)
No comments:
Post a Comment