कुछ इतिहास पढ़लीजिए आचार्य जी, मेरा आशय इस बात से है कि रोमियो एक ऐतिहासिक-साहित्य चरित्र है. नाटक देखने के बाद दर्शक रोमियो को पीटता नहीं, उसकी त्रासदी पर उसकी आंखे नम हो जाती हैं और प्रेम के दुश्मनों की सोच पर उन्हें कोफ्त होती है. आपको भी वही सलाह देता हूं कि दिमाग मिला है तो उसका इस्तेमाल भी कीजिए, नाम के आगे के विशेषण का सम्मान करिए. .
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