Saturday, March 18, 2017

दिनचर्या में शरीक है जो बात

Neelima Chauhan की "पतनशील पत्नियों के नोट्स" की निंदाओं पर

दिनचर्या में शरीक है जो बात
कह दिया वही बात मैंने साफ-साफ
कहते हो कर दिया मैंने मर्यादा तार-तार
स्त्री का अंग-प्रत्यंग है रोजमर्रा की चर्चा का हिस्सा
गालियां बयान करतीं मां-बहनों का किस्सा
ढकते हो हकीकत को मर्यादा की चादर से
किया मेरे कलम ने उसे बेपर्दा बड़े आदर से
निभाया उसने एक आइने का किरदार
मर्यादा का मर्दवादी छद्म पड़ गया बेकार
देख कर इस आइने में अपनी शकल
खो दिया तुमने संतुलन और अकल
लगा तुम्हें एक सांस्कृतिक संत्रास
हो गई मेरी किताब तुम्हारा कोकशास्त्र
(ईमि: 19.03.2017)

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