आओ बच्चों सुनो एक कहानी
बात है वैसे बहुत पुरानी
लगे भले ही जानी-पहचानी
इसमें भी हैं राजा-रानी
ईशवी सन् की पहली शताब्दी
जिधर भी देखो उधर ही थी
रोम साम्राज्य की आबादी
कैलीगुला एक शक्तिशाली सम्राट था
ऐयाशी और क्रूरता में लाजवाब था
बताता था अपना अस्तित्व श्रृष्टि की शुरुआत
रहेगा तब तक होती नहीं जब तक उसकी रात
अहंकार बोलता था चढ़कर सिर पर
कहता वो पैदा हुआ धरती का खुदा बनकर
करता था नहीं परवाह लोगों की नफरत का
खौफ़ खाते रहें लोग जब तक उसकी ताकत का
नहीं जानता था वह मगर वह इतिहास का यह राज़
बढ़ती है जब नफरत बेइंतहां तोड़ देती भय का राज
हुआ वही नरपिशाच कैलीगुला के साथ
कर गयी जब उसकी क्रूरता सभी सीमाएं पार
नफरत का भी न रहा कोई आर-पार
भय की अट्टालिका ढह गयी नफरत से
सैनिक-सेनेटरों ने कर दिया धड़ अलग सर से
ढह गया चार साल में ही भय-आतंक का किला
नफरत बढ़ती है तो कर देती है खत्म डरने का सिलसिला
(यों ही कलम आवारा हो गया)
(ईमि:01.04.2017)
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