Sunday, March 19, 2017

नवब्राह्मणवाद 21

कब हम ब्राह्मणवाद द्वारा थोपी गई जन्म की जीववैज्ञानिक संयोग की पहचान से ऊपर उठ एक चिंतनशील, संवेदनशील इंसान बन पाएंगे? जातिवाद उसी तरह मिथ्या चेतना है जैसे सांप्रदायिकता; मर्दवाद; नस्लवाद.... और जाति उसी तरह काल्पनिक समुदाय है जैसे धार्मिक या क्षेत्रीय समुदाय. अरे भाई दो सगे भाई तो एक से होते नहीं, बल्कि, अक्सर पिता की मृत्यु के बाद (पहले भी) पैतृक संपत्ति को लेकर एक दूसरे के दुश्मन हो जाते हैं, तो करोड़ों, लाखों, हजारों को एक खाने में कैद करना महज मिथ्याचेतना है. शासक वर्ग कामगर को हमेशा तमाम श्रेणीबद्ध खानों में बांटता आया है. उसे मजबूत करने की नहीं, तोड़ने की जरूरत है.

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