वह आदमी है जो छाती पर बैठा है
वह भी आदमी ही है जिसकी छाती पर वह बैठा है
छाती पर बैठा आदमी
दबे आदमी को राष्ट्रप्रेम सिखलाता है
नीचे दबा आदमी दर्द से कराहता है
जब तकलीफ से सरोबार हो जाता है
जोर लगाकर पैर चलाता है
छाती पर बैठा आदमी
दूर छिटक कर चित गिरता है
नीचे दबा आदमी
लपक कर पीठ पर लात जमाता है
लात खाकर वह
बंदे मातरम् बंदे मातरम् चिल्लाता है
बहुत देर तक दबा आदमी
उठकर एक लात और जमाता है
बहुत देर तक छाती पर बैठा आदमी
उठने की कोशिस में फिर गिरता है
और पड़े-पड़े
भारत माता की जय के नारे लगाता है
एक लात और खाकर शांत हो जाता है.
(ईमिः01.03.2017)
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