औरत ने फाड़ दिया मर्दवाद का फरमान
बताता जो औरत को सेवा-सजावट का समान
कभी जूती, भोग्या कभी पूज्या का देता नाम
नहीं मानता मगर उसे एक विवेकशील इंसान
फाड़ कर आंचल बना लिया है परचम
निकल पड़ी है जंग-ए-आजादी की राह पर
मांग रही हैं आजादी हर निरंकुश अंकुश से
हर निषेध, वर्जना, शालीनता और बंदिश से
लगा रही हैं नए नए नारे बुलंद आवाज में
आर-पार के निर्णायक संघर्ष के अंदाज में
कहती हैं पढ़ेंगे और करेंगे प्यार
परंपरा के ठेकेदारों होशियार
मांग रही हैं हर बात से आजादी
कहती हैं लड़कर लेंगे आजादी
हक़ है हमारा आजादी
छीनके लेंगे आजादी
मर्दवाद से आजादी
जात-खाप से आजादी
मां-बाप से आजादी
मां की भी आजादी
पूरी पूरी आजादी
मानवता की आजादी
निकला है यह जो जंगे आजादी का रथ
नारी प्रज्ञा-दावेदारी का गतिविज्ञान अनंत
जारी है ये जो जंग-ए-आजादी का अभियान
उड़ा देगा मर्दवादी धमकी को तिनके समान
(ईमि: 04.03.2017)
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