Friday, January 31, 2014

दिलों की मुलाकात

करो पैदा आजादी का जज्बा
तोड़ दो हर तरह का कब्जा
कब्जे और मिल्कियत की बात
नहीं है कोई कुदरती ज़ज्बात
पुरुष को समर्पण स्त्री सर्वस्व का
है नतीजा मर्दवादी वर्चस्व का
वर्चस्व के रिश्ते में होता शक्ति का गुमान
पारस्परिक समता में मिलता सुख महान
मासूम हूं समझता नहीं कब्जे की बात
जनतांत्रिक रिश्तों में होती दिलों की मुलाकात
(ईमिः01.02.2014)

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