ताप से तमाम चिरागों के टूट तो गया ख़ाब
जगने पर महसूसा आग की दरिया का ताप
रोशनी के लिए जलाए थे तुमने जो चिराग
लग गई उससे परंपरा के पुराने घरों में आग
बचा है जो इनके खंडहरों का ठिकाना
आओ बनायें उस पर एक नया आशियाना
हो जिसमें रोशनी भरमार जनचेतना की
रहे न कोई मिसाल निज चिराग की वेदना की
(ईमिः21.01.2014)
बहुत अच्छा है ।
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