Monday, January 20, 2014

रोशनी जनचेतना की

ताप से तमाम चिरागों के टूट तो गया ख़ाब
जगने पर महसूसा आग की दरिया का ताप 
रोशनी के लिए जलाए थे तुमने जो चिराग 
लग गई उससे परंपरा के पुराने घरों में आग
बचा है जो इनके खंडहरों का ठिकाना 
आओ बनायें उस पर एक नया आशियाना 
हो जिसमें रोशनी भरमार जनचेतना की
रहे न कोई मिसाल निज चिराग की वेदना की
(ईमिः21.01.2014)

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