जिसका भी अस्तित्व है,निशचित है अंत उसका
होगा अंत गुलामी का, सोचा न था अरस्तू ने
करते हुए गुणगान उसका
लिख रहे थे धर्मशास्त्र जब मनु महराज,
धूल में मिल जायेगा वर्णश्रमी राज आज
धूल में मिल जायेगा वर्णश्रमी राज आज
नहीं रहा होगा उनको इल्म इसका
रौंदकर यूनानी नगर राज्य और दर्शन-ज्ञान की परंपराएं
कभी नहीं सोचा था सिकंदर ने करते हुए असीम रक्तपात
खाक़ में मिल जाएगा इतनी जल्दी खानदान उसका
कहां हैं उत्तराधिकारी अकबर और नेपोलियन के
और हिटलर-हलाकू- चंगेज के वंशज
खत्म हो गये जब इतिहास के बड़े बड़े सम्राट
इतिहास के गर्त में समा जायेंगे सारे जनतांत्रिक युवराज
खत्म हो गयीं जब तुगलक-लोदी-मुगल सल्तनतें
अंत निश्चित है नेहरू-गांधी जनतांत्रिक वंशवाद का
[ईमि/17.01.2014]
बहुत खूब !
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDelete