Saturday, January 11, 2014

कविता का पूर्व-कथ्य

कविता का पूर्व-कथ्य

लिखना है एक कविता इस मनुहारी तस्वीर पर

बनना पड़ेगा लेकिन इसके लिए मूर्तिकार

और शब्दों से पड़ेगा गढ़ना नये आकार-प्रकार

 नयनों में इसके भरने हैं अभिव्यक्ति अंतरदृष्टि की

दे जो आभास एक नई दूरदृष्टि की

मुस्कान में विजयी आत्मविश्वास की खुशी

एवं चेहरे पर नारी प्रज्ञा और दावेदारी का संकल्प

 तनना है इस मुट्ठी को लहराते हुए हाथ

 चल रहा हो साथ एक उमड़ता जन सैलाब

लिखना तो है ही इस तस्वीर पर एक सुंदर कविता

लिखना है पहले लेकिन एक लंबा पूर्वकथ्य

उजागर हों जिससे इसके विप्लवी अंतःतथ्य


[ईमि/12.01.2014]

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