Saturday, January 4, 2014

क्षणिकाएं 9 (301-10)

301
कब हम भूमिहार, ब्राह्मण या यादव से इंसान बन पाएंगे
जीववैज्ञानिक दुर्घना की अस्मिता से कब उबर पाएंगे?
[ईमि/28.11.2013]
302
कैसे कैसे मंजर नज़र आने लगे हैं
लोग खुद में खुद को तलाशने लगे हैं
[ईमि/28.11.2013]
303
खुदा है ही नहीं कोई अपना
खुदी से ही दूर करता रहा तन्हाई
हुआ जवसे तवार्रुफ आपसे पास आती नहीं तन्हाई
जब रहते नहीं हैं आप खयाल तोड़ते हैं तन्हाई
[ईमि/28.11.2013]
304
बुलाती रहती हो हर किसी को
कभी तो मुझे भी बुलाया करो
[ईमि/28.11.2013]
305
रोक रखा था हम ऐरे-गैरों को छूने से वेद
खुल जाता नहीं तो तुम्हारी विद्वता का भेद
जी हाँ, हम ऐरे-गैरे भी पढ़ने-लिखने लगे हैं
शास्त्र पर था आप एकाधिकार किसी ब्रह्मा के हवाले
ब्रह्मा की साज़िश भी हम समझने लगे हैं
तोड़ेंगे हम अब सारे वर्णाश्रमी पाखंड
हाथ लहराते हुए जनसैलाब हम बनने लगे हैं
किया था वंचित बहुमत को शस्त्र और शास्त्र से जो आपने
राज़ जड़ता का समाज के हम भी अब समझने लगे हैं
नहीं चलेगी अब चाल कोई भी आपकी
ले मशालें हाथ में हम हक़ के लिए लड़ने लगे हैं
टूटेंगी ही जंजीरें और होगी मानवता मुक्त
जंग-ए-आज़दी का ऐलान हम अब करने लगे हैं
[ईमि/ 29.11.2013]
306
तन्हा नहीं होता कोई भी कभी
साथ रहते हैं कुछ खयाल सदा
[ईमि/29.11.2013]
307
यह बेटा नहीं एक फक्रमंद बेटी है
बेटा कहलाना मानती नही शाबासी
कह देती है तपाक से अंग्रेजी में
एक्सक्यूज़ मी आई डोन्ट टेक इट ऐज़ काम्लीमेंट
मैं बेटा नहीं बेटी हूं
[ईमि/29.11.2013]
308
है कुछ खास बात आप में जरूर
हैं प्रतिभा-ओ-हुस्न देन  प्रकृति की
आप सिर्फ रखवाले हैं मेरे हुज़ूर
न हो कोइ योगदान जिसमें उसका क्या गुरूर .
[ईमि/०५.१२.२०१२]
309
हैं सदर-ए-मुल्क और वजीर-ए-आज़म अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री ही हैं योजना आयोग सदर और वित्तमंत्री
कर रहे हैं मुल्क को नीलाम मिलजुल कर सभी
साथ हैं इनके अभियान में टाटा-बिरला-अंबानी भी
राज चले अमरीका का जो भी हो सदर-ए-रियासत
करें अदल-बदल कांग्रेसी-संघी-जनतादली सियासत
पढ़ा है इन्होने अर्थशास्त्र साम्राज्यवादी
बेच रहे हैं इसीलिए अमरीका को मुल्क की आज़ादी
जो भी हो झंडे का रंग जैसा भी चुनाव चिन्ह
रहेंगे सबमें शामिल चिदंबरम् और मोंटेक सिंह
सौंप रहे हैं कारपोरेट को जनसंपदा की चाभी
मिल  साथ कारपोरेट के मारते ये गरीबों की आबादी
हैं सब-के सब विश्वबैंक-आईएमएफ के  कारिंदे
गाजर-मूली हैं इनके लिए अपने देश के बासिंदे
कृपा है इनपर नेहरू-गांधी वंशवाद की
उड़ जायेंगे सभी आएगी जब आंधी जनवाद की.
[ईमि/09.12.2013]
310
मत दबाओ गला दिल का
वही तो है सूत्रधार इस महफिल का
[ईमि/09.12.2013]

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